Naseem azmi
Wednesday, November 2, 2022
Har lamha yaadgaar hai kar camere me qaid
Saturday, October 29, 2022
Dil me khizan hai aankhon me barsat ka mizaj
दिल में ख़िज़ाँ है आँखों में बरसात का मिज़ाजम
त पूछ मेरी तल्ख़ी-ए-हालात का मिज़ाज
शायद के कर रहे हैं वो रिमझिम रिधम पे रक़्स
बदला हुआ है शह्र में बरसात का मिज़ाज
इस रौनक़-ए-दयार से लगता है डर मुझे
बख़्शा है मुफ़लिसी ने सियह रात का मिज़ाज
अपनी घड़ी मैं देख रहा हूँ घड़ी घड़ी
बदलेगा वक़्त किस घड़ी हालात का मिज़ाज
शोख़ी अदा है नाज़ है नख़रा ग़ुरूर है
फ़ितरत में हुस्न के है तिलिस्मात का मिज़ाज
दम घोंटता हूँ वस्ल की ख़्वाहिश का सुब्ह ओ शाम
सिमटा है दिल में हिज्र की औक़ात का मिज़ाज
जो आज है उरूज पे कल उसका हो ज़वाल
जाना है किसने उसके किनायात का मिज़ाज
साक़ी तेरे दयार में ज़ाहिद जो आ गया
पल में बदल गया है ख़राबात का मिज़ाज
आलम 'नसीम' वहशत-ए-दिल का न पूछिये
बनता नहीं किसी से मुलाक़ात का मिज़ाज
#NaseemAzmi
Sunday, October 23, 2022
samjh raha tha mai pahle ki kaam bolta hai
apni janib khinch rahe hain mujhko bari bari log
aaina pyaar ka dhumil nhi hone dena
apna kahta hai par apna nhi hone deta
usne jab bhi mujhe kaha khamosh
labon pe pyaar ki jumbish na jane kab hogi
hamari aankhon se ghayab hai nind raaton ki
yun hi thodi haisiyat uski bani
wo dekh mere jumbish e lab puchne lage
ibtida to ki maine intiha khuda jane
tumhara pyaar zaruri hai zindagi ke liye
teri sun kar sada alhamdulillah
teri bewfai ka gham foonkte hain _Naseem azmi
jitne qanoon hain kale unhen toda jaye Naseem Azmi
honto pe aake sanson ki mala simat gayi_ Naseem azmi
zarurat tumhari hai chahat tumhari Naseem Azmi
dhadhknen dil ki meri badhao sanam _Naseem azmi
aur kitni barahnagi hogi _Naseem Azmi
faisle tere ahm hain maula _Naseem azmi
ishq ka lag hi gaya rog na jane kaise _naseem azmi
Bhukon ki bebasi kahin pyason ki bebasi _Naseem Azmi
Monday, April 23, 2018
Jinhen rahna ho khush sahra me savan dhoondh lete hain
وہ اپنی خشک تر قسمت کا شکوہ ہی نہیں کرتے
جنہیں رہنا ہے خوش صحرا میں ساون ڈھونڈ لیتے ہیں
वो अपनी खुश्क़ तर किस्मत का शिकवा ही नहीं करते
जिन्हें रहना है खुश सहरा में सावन ढूंढ लेते है
وہ کیسے لوگ ہیں بیٹیوں کو بوجھ کہتے ہیں
مقدر بیٹیوں کےخد ہی آنگن ڈھونڈ لیتے ہیں
वो कैसे लोग हैं जो बेटियों को बोझ कहते हैं
मुकद्दर बेटियों के खुद ही आँगन ढूंढ लेते हैं
apna kandha takiya bana kar sone do
फूलों के बिस्तर को बिछा कर सोने दो
अपना काँधा तकिया बना कर सोने दो
छाँव के बिस्तर ने है जगाया मुझको बहुत
आज मुझे तुम धूप बिछा कर सोने दो
चोर लुटेरे घूम रहे हैं चारों तरफ
दरवाज़े में कुफ़्ल लगा कर सोने दो
जागने वालों को जगने दो मुझको पर
गुज़रे हुए पल आज भुला कर सोने दो
रूह मेरी बेचैन बहुत है आज 'नसीम'
इन आँखों में ख़्वाब सजा कर सोने दो
Meri sanson me samai hai tu khushbu ki tarah
मेरी सांसो में समाई है तू खुशबू की तरह
सच कहूँ तो मुझे महबूब है उर्दू की तरह
दिन तो कट जाता है बिन तेरे मगर रातों में
जलता बुझता हुआ रहता हूँ मैं जुगनू की तरह
ibtida to ki maine intiha khuda jaane
इब्तिदा तो की मैंने इंतिहा खुदा जाने
किस तरह निभायेंगे, वो वफ़ा खुदा जाने
बार बार छुप जाता है वो सामने आकर
कौन रहता है मुझसे आशना खुदा जाने
फिर निकल गया देखो हादसा मुझे छू कर
कौन दे रहा जीने की दुआ खुदा जाने
बेबसी का आलम है हँस रहा हूँ खुद पर ही
हँस रहा हूँ क्यूँ आखिर, ये मेरा खुदा जाने
झूठ और सच की जंग -ऐ- 'नसीम' जारी है
किसके हक़ में आएगा, फैसला खुदा जाने
yaad me tere nind gawani padti hai
याद में तेरी नींद गवानी पड़ती है
जैसे तैसे रात बितानी पड़ती है
वीरानी जब अंदर तक छा जाए तो
सहरा सहरा ख़ाक उड़ानी पड़ती है
प्यार की ख़ातिर राह बनाने से पहले
नफ़रत की दीवार गिरानी पड़ती है
झूठ कहूँ तो गिर जाता हूँ नज़रों से
सच बोलूँ तो जान गवानी पड़ती है
जाने किस दिन होंगे हम बेदार नसीम
लाश अपनों की रोज़ उठानी पड़ती है
museebaton me khuda usko daal deta hai
मुसीबतों में खुदा उस को डाल देता है
जो वालिदैन को घर से निकाल देता है
वो बेमिसाल है तारीफ क्या करूँ उसकी
जो माँ के पेट में बच्चों को पाल देता है
अगर हो साथ में ईमान की जो दौलत तो
वो बीच दरिया से रस्ता निकाल देता है
बुलंदियों पे पहुंच के ग़ुरूर मत करना
उरूज देता है वो ही ज़वाल देता है
नसीम देख लिया आज अपनी आँखों से
हवा का झोंका समन्दर उछाल देता है
wo dekh mere jumbish e lab puchne lage
वो देख मेरे जुम्बिश -ए- लब पूछने लगे
क्या आरज़ू है क्या है सबब पूछने लगे
मैं आसमाँ को छूने जो पहुंचा उरूज पर
कुछ लोग मेरा नाम -ओ- नसब पूछने लगे
खोया था उनकी याद में कल मैं शब -ए- फ़िराक
सब मुज़्महिल सितारे सबब पूछने लगे
पूछा न हाल तक मेरा जब मैं उदास था
अब खुश हूं तो खुशी का सबब पूछने लगे
Tumhara pyar zaruri hai Zindagi ke liye
तबाह दिल के अंधेरों की रौशनी के लिए
तुम्हारा प्यार ज़रूरी है ज़िन्दगी के लिए
तुम्हारी दीद को आँखें तरस गईं मेरी
नज़र तो आओ मुझे यार दो घड़ी के लिए
ग़रीब शख़्स हूँ रिशवत के वास्ते क़र्ज़ा
कहां से लाऊँ मैं सरकारी नौकरी के लिए
वो शख़्स भी तो सरापा ए राह ज़न निकला
चुना था हमने जिसे अपनी रहबरी के लिए
तुम्हारे दिल में जो अश्आर मेरे घर कर दें
कहां से लाऊँ वो अल्फ़ाज़ शायरी के लिए
ghut ghut ke marna roz tamasha nahi hai kya
घुट घुट के रोज़ मरना तमाशा नही है क्या
जीने का कोई और भी रस्ता नही है क्या
खुद को तू बेवकूफ बनाता है आजकल
आईना तुझको कुछ भी दिखाता नही है क्या
माहौल इस तरफ का तो बेहद खराब है
माहौल उस तरफ का भी अच्छा नही है क्या
मैं तो बता चूका हूँ बता अब तू चल मुझे
अब तक तू मेरे बारे में सोचा नही है क्या
क्यूँ देखता है मुझको तू आँखें ये फाड़ के
पहले 'नसीम' को कभी देखा नही है क्या
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gada main banke tere dar talak chala aaya
करम है मसनद ओ मिम्बर तलक चला आया
गदा मैं बन के तेरे दर तलक चला आया
मेरी तलब ने मुझे हौसला दिया साक़ी
ये हाथ खुद तेरे साग़र तलक चला आया
कई दिनों से है फ़ाक़ा मुआफ़ कर मुझको
बिना बुलाये मैं सासर तलक चला आया
तू आगे आगे मुझे रास्ता दिखाता रहा
मैं पीछे पीछे तेरे घर तलक चला आया
जो दिल की आरज़ू थी आज हो गई पूरी
नसीम हुस्न के पैकर तलक चला आया
charon taraf rangeen hai manzar thahro na
चारों तरफ रंगीन है मन्ज़र ठहरो ना
जान ए जानाँ आज की शब भर ठहरो ना
कुछ तो बनेगा चाक पे क्यूँ घबराते हो
जारी अभी है चाक पे चक्कर ठहरो ना
आज हमारे हाल पे हँस लो जी भर के
वक़्त हमारा आएगा बेहतर ठहरो ना
अहले जुनूँ क्यूँ खेल रहे हो पत्थर से
लग जाएगी आप को ठोकर ठहरो ना
रंज ओ ग़म की धूप में तपता रहता हूँ
बन जाऊँगा इक दिन गौहर ठहरो ना
Chand sa chehra dekh raha hun
چپ کے چپ کے دیکھ رہا ہوں
چاند سے چہرے دیکھ رہا ہوں
चुप के चुप के देख रहा हूँ
चाँद से चेहरे देख रहा हूँ
کیا ہونگے خط کے مضمون!
بند لفافے دیکھ رہا ہوں
क्या होंगे ख़त के मज़मून?
बन्द लिफाफे देख रहा हूँ
خواب میں ان کو آ تے جاتے
اپنے سرہانے دیکھ رہا ہوں
ख़्वाब में उनको आते जाते
अपने सिरहाने देख रहा हूँ
پھول کے ہاتھ میں حیرانی سے
پھول کے گملے دیکھ رہا ہوں
फूल के हाथ में हैरानी से
फूल के गमले देख रहा हूँ
بدلا بدلا سا ہے لہجہ
آپ کے نکھرے دیکھ رہا ہوں
बदला बदला सा है लहजा
आप के नखरे देख रहा हूँ
hamari aankhon ghayab hai nind raaton ki
हमारी आँखों से ग़ायब है नींद रातों की
बहुत रुलाती हैं यादें गुज़िश्ता लम्हों की
बिठा रहे हैं सभी मुझको अपनी पलकों पर
निकलने वाली है बारात मेरे अश्कों की
कहाँ तलाश करूँ अब्र अपने हिस्से का
उदास रहती है बंजर ज़मीन आँखों की
वो कौन ख़्वाबों में छुप छुप के रोज़ आता है
मैं तहक़ीक़ात करूँगा अब अपने ख़्वाबों की
मैं आफ़ताब को अब मुंह नहीं लगाऊंगा
मैं जुगनुओं से कर आया हूँ बात ऊजालों की
khoobsurqt kis Qadar maula tera sansar hai
इस तरफ़ तन्हाई के आलम में दिल बेज़ार है
उस तरफ जश्न ए तरब में डूबा मेरा यार है
दश्त ओ सहरा है कहीं वादी कहीं कोहसार है
ख़ूबसूरत किस क़दर मौला तेरा संसार है
आँख भर आई हमारी उस हसीं को देख कर
जब ख़्याल आया ये उसका आख़री दीदार है
तुम किसी तनक़ीद से मायूस मत होना कभी
पत्थर आते हैं उसी पे पेड़ जो फलदार है
ज़िन्दगी बर्बाद करके आज हम अपनी नसीम
हर किसी से कह रहे हैं ज़िन्दगी गुलज़ार है
बेज़ार= ना खुश
जश्न ए तरब= संगीत का जश्न
कोहसार= पहाड़
दश्त ओ सहरा = दरिया और रेगिस्तान
bahot meri sataish ho rahi hai
बहुत मेरी सताइश हो रही है
मुनज़्ज़म कोई साज़िश हो रही है
कहीं ज़ुल्मत के बादल छा रहे हैं
कहीं रहमत की बारिश हो रही है
नए फैशन ने उर्यां कर दिया है
बदन की अब नुमाईश हो रही है
सुना है मैंने वो शोला बदन है
उसे छूने की ख़्वाहिश हो रही है
मुहब्बत में ख़रे उतरेंगे हम भी
हमारी आज़माईश हो रही है
Sunday, January 7, 2018
Saturday, January 6, 2018
sote nhin hain aapka bosa liye baghair
सोते नही हैं आपका बोसा लिए बग़ैर
रहते हैं हम नशे में हमेशा पिए बग़ैर
Ghut ghut ke roz marna tamasha nhi hai kya
जीने का कोई और भी रस्ता नही है क्या
खुद को तू बेवकूफ बनाता है आजकल
आईना तुझको कुछ भी दिखाता नही है क्या
माहौल इस तरफ का तो बेहद खराब है
माहौल उस तरफ का भी अच्छा नही है क्या
मैं तो बता चूका हूँ बता अब तू चल मुझे
अब तक तू मेरे बारे में सोचा नही है क्या
क्यूँ देखता है मुझको तू आँखें ये फाड़ के
पहले 'नसीम' को कभी देखा नही है क्या
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अपनी जानिब खींच रहे हैं मुझको बारी बारी लोग एक तरफ़ मेयारी हैं तो एक तरफ़ बाज़ारी लोग तू तू मैं मैं होने दे तू दूर से बैठ तमाशा ...
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آئنہ پیار کا دھومل نہیں ہونے دینا اور کوئی میرے مقابل نہیں ہونے دینا در بدر ٹھوکریں کھانے میں مزہ آتا ہے خود کو منزل ابھی حاصل نہیں ہو...