Wednesday, November 2, 2022

Har lamha yaadgaar hai kar camere me qaid

ہر لمحہ  یادگار ہے کر کیمرے میں قید
دلچسپ ہو رہا ہے سفر کیمرے میں قید

جھوٹی ہنسی لبوں پہ سجانی پڑی مجھے
ہوتا نہیں ہے درد جگر کیمرے کی قید

پھر اس کے بعد ادھر سے گزر ہو نہ ہو مرا
سو کر رہا ہوں راہ گزر کیمرے میں قید

شاید پھر ایسا لمحہ میسر نہ ہو کبھی 
اےخوش بدن میں کرلوں ٹھہرکیمرے میں قید

हर  लम्हा   यादगार  है  कर  कैमरे  में  क़ैद 
दिलचस्प हो  रहा  है  सफ़र  कैमरे  में  क़ैद 

झूटी   हँसी   लबों   पे   सजानी  पड़ी  मुझे 
होता  नहीं  है  दर्द-ए-जिगर  कैमरे  में  क़ैद

फिर इसके बाद इधर से गुज़र हो न हो मेरा
सो  कर  रहा  हूँ  राह-गुज़र  कैमरे  में  क़ैद

शायद फिर ऐसा लम्हा मयस्सर न हो कभी
ऐ ख़ुश बदन मैं कर लूँ ठहर  कैमरे  में  क़ैद 

Saturday, October 29, 2022

Dil me khizan hai aankhon me barsat ka mizaj




दिल में ख़िज़ाँ है आँखों में बरसात का मिज़ाजम

त पूछ मेरी तल्ख़ी-ए-हालात का मिज़ाज 


शायद के कर रहे हैं वो रिमझिम रिधम पे रक़्स

बदला हुआ है शह्र में बरसात का मिज़ाज


इस रौनक़-ए-दयार से लगता है डर मुझे

बख़्शा है मुफ़लिसी ने सियह रात का मिज़ाज


अपनी घड़ी मैं देख रहा हूँ घड़ी घड़ी

बदलेगा वक़्त किस घड़ी हालात का मिज़ाज 


शोख़ी अदा है नाज़ है नख़रा ग़ुरूर है

फ़ितरत में हुस्न के है तिलिस्मात का मिज़ाज


दम घोंटता हूँ वस्ल की ख़्वाहिश का सुब्ह ओ शाम

सिमटा है दिल में हिज्र की औक़ात का मिज़ाज


जो आज है उरूज पे कल उसका हो ज़वाल

जाना है किसने उसके किनायात का मिज़ाज


साक़ी तेरे दयार में ज़ाहिद जो आ गया

पल में बदल गया है ख़राबात का मिज़ाज


आलम 'नसीम' वहशत-ए-दिल का न पूछिये

बनता नहीं किसी से मुलाक़ात का मिज़ाज


#NaseemAzmi

Sunday, October 23, 2022

samjh raha tha mai pahle ki kaam bolta hai


समझ रहा था मैं पहले के काम बोलता है 
मगर ये झूट है, अब सिर्फ़ नाम बोलता है 

ख़मूश होके सुना करते हैं जहाँ वाले
ज़ुबाँ से अपनी जो रब का कलाम बोलता है

फिर उसकी चुप पे नहीं बोलते हैं हम क्योंकर
हमारे वास्ते जो सुब्ह ओ शाम बोलता है

है भाईचारगी बाक़ी, के जब भी मैं उसको  
सलाम करता हूँ वो राम राम बोलता है

हर एक बार हुआ है अवाम का नुक़सान
वो  एक नेता के जब बे-लगाम बोलता है

apni janib khinch rahe hain mujhko bari bari log


अपनी जानिब खींच रहे हैं मुझको बारी बारी लोग
एक  तरफ़  मेयारी  हैं  तो एक तरफ़ बाज़ारी लोग

तू  तू  मैं  मैं  होने  दे  तू  दूर  से  बैठ  तमाशा  देख
पास  गया  तो कर  लेंगे आपस में मारा मारी लोग 

झूठी  क़समें, झूठे  वादे, झूठी  चाहत, झूठे  ख़्वाब 
हम  जैसे  मासूमों  से  भी  करते  हैं मक्कारी लोग

सुझ बुझ अपनी खो  बैठूंगा मैं बे-दिल हो जाऊंगा 
इतनी ज़्यादा करने लगे हैं मेरी दिल आज़ारी लोग  

हँसते हँसते रो पड़ता हूँ आख़िर  क्या बतलाऊँ मैं 
मर मर  के  जीने  की  मुझसे पूछ रहे दुश्वारी लोग

aaina pyaar ka dhumil nhi hone dena


آئنہ پیار کا دھومل نہیں ہونے دینا
اور کوئی میرے مقابل نہیں ہونے دینا

در  بدر  ٹھوکریں کھانے  میں  مزہ  آتا  ہے
خود کو منزل ابھی حاصل نہیں ہونے دینا

طے کیا میں نے اسے کرنا ہےحاصل،یا رب
کوئی درپیش تو  مشکل نہیں  ہونے  دینا

یاد کرنے سے تجھے دل کو سکوں ملتا ہے
دل تری یاد سے غافل نہیں ہونے دینا

دل کے گوشے میں چھپائے ہوئے  ہوں ارا
تیری تصویر کو دھومل نہیں ہونے دینا

apna kahta hai par apna nhi hone deta


اپنا کہتا ہے پر اپنا نہیں ہونے دیتا
وہ مرا خواب ہی پورا نہیں ہونے دیتا

اک خوشی ہو تو لٹا دیتا ہوں میں اوروں پر
اور غم ہو تو پرایا نہیں ہونے دیتا

میرے خوابوں میں مسلسل تِرا آنا جانا
 دل کا اِک زخم بھی اچھا نہیں ہونے دیتا

 دل جو دیتا ہے دلاسے کہ وہ لوٹ آئے گا 
انتظار اس کا ہمیشہ نہیں ہونے دیتا
 
مدتوں سے وہ مجھے دیکھتا رہتا ہے فقط
دل کا اک بوجھ بھی ہلکا نہیں ہونے دیتا

usne jab bhi mujhe kaha khamosh


اس نے جب بھی مجھے کہا خاموش
احتراماً میں ہو گیا خاموش

جتنا باہر سے بولتا تھا کبھی
اتنا اندر سے ہو گیا خاموش

آئینے کو غرور تھا خود پر
دیکھ کر تم کو ہو گیا خاموش

میں بھی ہنسنے کا پہلے عادی تھا
کر گیا ایک سانحہ خاموش

آندھیاں شور کر رہی ہیں مگر
جل رہا ہے میرا دیا خاموش

گویا یہ وقت ٹھہر جاتا ہے
جب بھی ہوتی ہو تم ارا خاموش

تجھ کو آخر کیا ہو گیا ہے نسیم
جب ملا تو مجھے ملا خاموش

labon pe pyaar ki jumbish na jane kab hogi


لبوں پہ پیار کی جنبش  نہ جانے کب ہوگی
تمہاری ہم پہ نوازش نہ جانے کب ہوگی

فراقِ یار میں مدت سے جل رہا ہے بدن
یہ سرد ہجر کی آتش نہ جانے کب ہوگی

 اداس اداس ہے سوکھی زمین آنکھوں کی
ہمارے حصے کی بارش نہ جانے کب ہوگی

 تمام امن پسندوں میں خوف طاری ہے
یہ شر پسندوں کی بندش نہ جانے کب ہوگی

 گناہگار ہوں، ہے تیری رحمتوں کی امید
مری خطاؤں کی بخشش نہ جانے کب ہوگی

hamari aankhon se ghayab hai nind raaton ki

ہماری آنکھوں سے غائب ہے نیند راتوں کی
بہت رلاتی ہیں یادیں گزشتہ لمحوں کی

بٹھا رہے ہیں سبھی مجھ کو اپنی پلکوں پر
نکلنے والی ہے بارات میرے اشکوں کی

کہاں تلاش کروں ابر اپنے حصے کا
اُداس رہتی ہے بنجر زمین آنکھوں کی

وہ کون خوابوں میں چھپ چھپ کے روز آتا ہے
میں تحقیقات کرونگا اب اپنے خوابوں کی

میں آفتاب کو اب منھ نہیں لگاؤنگا
میں جگنؤں سے کر آیا ہوں بات اُجالوں کی

yun hi thodi haisiyat uski bani


یوں ہی تھوڑی حیثیت اس کی بنی
سینکڑوں بل کھائے تب رسّی بنی

جاں مصؤِر نے جب اپنی پھونک دی
تب کوئی اک پینٹنگ اچھی بنی

اک نیا ہر روز آتا ہے ٹویسٹ
زندگی اک سیریل جیسی بنی

اور پھر دشمن زمانہ ہو گیا
اک کہانی جب تری میری بنی

محفلوں سے دور خود کو کر لیا
جب سے تنہائی مری ساتھی بنی

wo dekh mere jumbish e lab puchne lage



वो   देख     मेरे      जुम्बिश  -ए- लब पूछने लगे
क्या   आरज़ू    है     क्या   है   सबब पूछने लगे

मैं  आसमाँ   को   छूने   जो   पहुंचा   उरूज  पर
कुछ   लोग    मेरा   नाम   -ओ- नसब पूछने लगे

खोया था उनकी याद में कल मैं शब -ए- फ़िराक
सब    मुज़्महिल     सितारे     सबब   पूछने लगे

पूछा  न  हाल   तक   मेरा   जब   मैं  उदास  था
अब  खुश  हूं  तो  खुशी  का  सबब  पूछने  लगे 

दिल   आईना   सा   टूट   के   मेरा  बिखर  गया
और  आप  हैं   के    जश्न  ए  तरब   पूछने  लगे

ibtida to ki maine intiha khuda jane

इब्तिदा  तो  की    मैंने   इंतिहा  खुदा जाने
किस  तरह  निभायेंगे, वो  वफ़ा खुदा जाने 

बार  बार  छुप  जाता  है वो सामने आकर
कौन  रहता  है  मुझसे  आशना खुदा जाने

फिर  निकल गया देखो हादसा मुझे छू कर
कौन   दे   रहा   जीने की  दुआ खुदा जाने

बेबसी का आलम है हँस रहा हूँ खुद पर ही
हँस रहा हूँ  क्यूँ  आखिर, ये मेरा खुदा जाने  

झूठ और सच की जंग -ऐ- 'नसीम' जारी है
किसके हक़ में आएगा, फैसला खुदा जाने

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tumhara pyaar zaruri hai zindagi ke liye


تباہ دل کے اندھیروں کی روشنی کے لیئے
تمہارا   پیار   ضروری  ہے  زندگی کے لیئے

تمہاری دید کو آنکھیں ترس گئیں میری
نظر تو آؤ مجھے یار  دو گھڑی کے لیئے

غریب شخص ہوں رشوت کے واسطے قرضہ
کہاں سے لاؤں میں  سرکاری نوکری کے لیئے

وہ شخص بھی تو سراپائے راہ زن نکلا
چُنا تھا ہم نے جسے اپنی رہبری کے لیئے

تمہارے دل میں جو اشعار میرے گھر کر دیں
کہاں  سے  لاؤں  وہ  الفاظ  شاعری  کے لیئے 

teri sun kar sada alhamdulillah

تری     سن    کر    صدا    الحمدللہ
ہوا      دل  خوش   مرا    الحمدللہ

مری ہے  کیا  رضا  اب کیا ہوں میں
تری      ہو    جو    رضا    الحمدللہ

بچا   لیتی   ہے   ہر  اک  حادثے  سے
مرے     ماں    کی    دعا    الحمدللہ

گنہگاروں کو بھی سب نعمتوں سے
نوازے       ہے       خدا      الحمدللہ

زباں شیریں ہےاور لہجےمیں خوشبو
اثر       ہے      اردو     کا    الحمدللہ

teri bewfai ka gham foonkte hain _Naseem azmi

مسلسل جو سگریٹ ہم پھونکتے ہیں
تری بے وفائی کا غم پھونکتے ہیں

سبھی گوپیاں آنے لگتی ہیں کھنچ کر
کبھی بانسری میں جو ہم پھونکتے ہیں

غم ہجر کی آگ دل میں لگا کر
ترا نام لکھ لکھ کے ہم پھونکتے ہیں

محض چند کاغز کے ٹکڑوں کی خاطر 
ضمیر اپنا اہل قلم پھونکتے ہیں  

بظاہر ہمیں مذہبی لگنے والے
یہی ہیں جو دیر و حرم پھونکتے ہیں

jitne qanoon hain kale unhen toda jaye Naseem Azmi

जितने क़ानून हैं काले उन्हें तोड़ा जाए 
मुत्तहिद होके वतन आओ बचाया जाए

या ख़ुदा छीन ले बीनाई मेरी आँखों की 
हर तरफ़ बहता हुआ ख़ून न देखा जाए

जो भी मुजरिम हैं उन्हें दीजे सज़ायें लेकिन
बेगुनाहों को यूँ जेलों में न डाला जाए

बाद में आप जो चाहें वो सियासत कीजे
पहले भूकों के लिए खाना परोसा जाए

अपने इस मुल्क की अज़मत को बचाने के लिए
पहने इन गुंडों को संसद से निकाला जाए

honto pe aake sanson ki mala simat gayi_ Naseem azmi

جینے کی اب ہر ایک تمنا سمٹ گئی
ہونٹوں پہ آکے سانس کی مالا سمٹ گئی

سب کو عبادتوں کا اب آنے لگا خیال
دیر و حرم کی جب سے دری کیا سمٹ گئی

پھیلا ہوا ہے زہر فضاؤں میں اس قدر
پنجرے میں اپنے، خوف سے چڑیا سمٹ گئ

حیرت زدہ ہوں آئنے میں خود کو دیکھ کر
جانے کہاں پہ عمر گذشتہ سمٹ گئی

سویا ہوا تھا نیند میں جاگ اٹھا بادشاہ
جب اس کے سلطنت کی رعایہ سمٹ گئی

قہرِ  خدا بشکلِ وباء آ گیا نسیم
اپنے گھروں میں دیکھئے دنیا سمٹ گئی

کاتب ۔ حمیرہ ناز    کلام ۔ نسیم اعظمی

zarurat tumhari hai chahat tumhari Naseem Azmi

ज़रूरत तुम्हारी है चाहत तुम्हारी
मेरे दिल में बस है मुहब्बत तुम्हारी

मेरी जाँ,मेरा दिल, मेरी रूह तुम हो
मेरी ज़िन्दगी है अमानत तुम्हारी

तुम्हारी वफ़ा पर कोई शक़ नहीं है
बड़ी साफ़ सुथरी है सीरत तुम्हारी

हया से झुका लेना सर मुस्कुराकर
है हर इक अदा ख़ूबसूरत तुम्हारी

शरीक ए सफ़र तुमने मुझको चुना है
इनायत तुम्हारी इनायत तुम्हारी

न इक पल कभी तुमसे ग़ाफ़िल हुआ मैं
बसी है निगाहों में सूरत तुम्हारी

सदा नाज़ ओ नख़रे उठाता रहूंगा
करूंगा हर इक पूरी हसरत तुम्हारी

कहीं एक पल दिल ये लगता नहीं है
कि जबसे लगी है मुझे लत तुम्हारी

ज़माने से मैंने रखी है छुपाकर
इरा मन के मंदिर में मूरत तुम्हारी



ضرورت تمہاری ہے چاہت تمہاری
مرے دل میں بس ہے  محبت تمہاری 

مری جاں ، مرا دل،  مری روح تم ہو
 مری زندگی ہے امانت تمہاری

تمہاری وفا پر کوئی شک نہیں ہے
بڑی صاف ستھری ہے سیرت تمہاری

 حیا سے جھکا  لینا  سر مسکرا کر
ہے ہر اک ادا خوبصورت تمہاری

شریکِ سفر تم نے مجھ کو چنا ہے 
عنایت تمہاری عنایت تمہاری

نہ اک پل کبھی تم سے غافل ہوا میں
بسی ہے نگاہوں میں صورت تمہاری

سدا ناز و نخرے اٹھاتا رہوں گا
کروں گا ہر اک پوری حسرت تمہاری

کہیں ایک پل دل یہ لگتا نہیں ہے
کہ جب سے لگی ہے مجھے لت تمہاری

زمانے سے میں  نے رکھی ہے چھپا کر
ارا من کے مندر میں مورت تمہاری

dhadhknen dil ki meri badhao sanam _Naseem azmi

धड़कनें दिल की मेरे बढ़ाओ सनम
अपने सीने से मुझको लगाओ सनम

ज़ख़्मी होने को दिल मेरा बेताब है
तीर नैनों का दिल पर चलाओ सनम

दिल की अंधेर नगरी को रौशन करो
प्यार का दीप दिल में जलाओ सनम

अपनी आवाज़ से कानों में घोलो रस
नग़मा ए दिल वफ़ा का सुनाओ सनम

आँख से आँख दिल से मिले आज दिल
छोड़ो शरमाना अब पास आओ सनम

aur kitni barahnagi hogi _Naseem Azmi

شرم سے آنکھ  بھی نہیں اٹھتی
اور کتنی برہنگی  ہوگی

ہم نے سوچا نہ تھا کبھی مولا
ایسی اکیسویں صدی  ہوگی

शर्म  से  आंख भी नहीं उठती 
और  कितनी   बरहनगी होगी

हमने सोचा न था कभी मौला 
ऐसी   इक्कीसवीं   सदी होगी

faisle tere ahm hain maula _Naseem azmi

ایک  تو  ہی ہے قادرِ مطلق
فیصلے تیرے اہم ہیں مولا
एक तू ही है क़ादिर-ए-मुतलक़
फ़ैसले   तेरे   अहम्   हैं  मौला

تو  ہے  رحمان رحم  کرتا  ہے
تیرے بندے بےرحم ہیں مولا

तू है रहमान रहम् करता है
तेरे  बंदे  बे रहम्  हैं  मौला

ishq ka lag hi gaya rog na jane kaise _naseem azmi


عشق کا لگ ہی گیا روگ نہ جانے کیسے
ہجر کا کاٹیں گے اب سوگ نہ جانے کیسے

کس نے ٹھکرایا مجھے شہر میں کچھ یاد نہیں
دشت و صحرا میں لیا جوگ نہ جانے کیسے

دل کھلونا نہیں ہوتا ہے بظاہر پھر بھی
دل سے ہی کھیلتے ہیں لوگ نہ جانے کیسے

 جب بھی لاتی ہے ہوا تیرے بدن کی خوشبو
ٹوٹ جاتا ہے مرا یوگ نہ جانے کیسے

اک اگن آج بھی رہتی ہے برہ کی دل میں
تھا ندی ناؤ کا سنجوگ  نہ جانے کیسے

इश्क़  का  लग   ही  गया   रोग  न  जाने  कैसे
हिज्र  का   काटेंगे    अब  सोग  न  जाने  कैसे 

किसने  ठुकराया  मुझे शह्र में कुछ  याद  नहीं
दश्त-ओ-सहरा  में  लिया जोग  न  जाने  कैसे

दिल  खिलौना नहीं होता है बज़ाहिर  फिर भी  
दिल  से   ही   खेलते   हैं  लोग  न  जाने  कैसे

जब  भी  लाती  है  हवा  तेरे  बदन की ख़ुशबू 
टूट    जाता     है    मेरा    योग  न  जाने  कैसे 

इक अगन आज भी रहती है बिरह की दिल में
था   नदी   नाव    का    संजोग  न  जाने  कैसे

Bhukon ki bebasi kahin pyason ki bebasi _Naseem Azmi

بھوکوں کی بے بسی کہیں پیاسوں کی بے بسی
اخبار میں ہے جا بہ جا لوگوں کی بے بسی

بجتے ہیں گھنگھرو یادوں کے تنہائیوں میں جب
کرتی ہے رقص ہجر کے ماروں کی بے بسی 

منظر ہے کربلا کا نگاہوں کے سامنے 
پانی پہ لکھ رہا ہوں میں پیاسوں کی بے بسی

اک اک کو بخشوائیں گے میدان حشر میں 
آقا سے کب چھپی ہے غلاموں کی بے بسی 

صبح حسین دیکھنے والوں کو کیا پتا 
آنگن میں جلتے بجھتے چراغوں کی بے بسی

رشتے کے انتظار میں اک عمر ڈھل گئی 
کب ختم ہوگی بیٹیوں بہنوں کی بے بسی

سوتے ہیں یہ بھی سب کی طرح فرش خاک پر
مرنے کے بعد دیکھیئے شاہوں کی بے بسی

قربان بچپن اپنا مجھے کرنا پڑ گیا
دیکھی گئی نہ مجھ سے جب اپنوں کی بے بسی

لکھ کر تمام درد میں خاموش ہو گیا
کاغذ پہ چیکھتی رہی لفظوں کی بے بسی

भूकों  की   बेबसी  कहीं  प्यासों  की  बेबसी
अख़बार  में  है  जा-ब-जा लोगों  की  बेबसी 

बजते  हैं  घुँघरू  यादों  के  तन्हाइयों  में जब
करती  है  रक़्स   हिज्र  के  मारों  की  बेबसी 

मंज़र   है   कर्बला   का   निगाहों  के  सामने
पानी  पे  लिख  रहा हूँ मैं प्यासों  की  बेबसी

सुब्ह-ए-हसीन  देखने  वालों  को  क्या  पता
आँगन  में  जलते  बुझते  चराग़ों  की  बेबसी
 
रिश्ते  के   इंतिज़ार  में   इक   उम्र   ढल  गई 
कब  ख़त्म  होगी  बेटियों  बहनों  की  बेबसी

सोते हैं ये भी सब की तरह फ़र्श-ए-ख़ाक पर
मरने   के   बाद    देखिए   शाहों  की  बेबसी

क़ुर्बान  बचपन  अपना  मुझे करना पड़ गया
देखी  गई  न  मुझसे  जब अपनों  की  बेबसी

लिख  कर  तमाम  दर्द  मैं  ख़ामोश  हो  गया
काग़ज़  पे   चीख़ती   रही  लफ़्ज़ों की बेबसी

Monday, April 23, 2018

Jinhen rahna ho khush sahra me savan dhoondh lete hain

وہ اپنی خشک تر قسمت کا شکوہ ہی نہیں کرتے
جنہیں رہنا ہے خوش صحرا میں ساون ڈھونڈ لیتے ہیں
वो अपनी खुश्क़ तर किस्मत का शिकवा ही नहीं करते
जिन्हें रहना है खुश सहरा में सावन ढूंढ लेते है

وہ کیسے لوگ ہیں بیٹیوں کو بوجھ کہتے ہیں
مقدر بیٹیوں کےخد ہی آنگن ڈھونڈ لیتے ہیں
वो कैसे लोग हैं जो बेटियों को बोझ कहते हैं
मुकद्दर बेटियों के खुद ही आँगन ढूंढ लेते हैं

apna kandha takiya bana kar sone do

फूलों  के  बिस्तर  को  बिछा  कर सोने दो
अपना  काँधा  तकिया  बना  कर सोने दो

छाँव के बिस्तर ने है जगाया मुझको बहुत
आज  मुझे  तुम  धूप  बिछा  कर सोने दो

चोर   लुटेरे   घूम     रहे   हैं   चारों   तरफ
दरवाज़े   में    कुफ़्ल    लगा  कर सोने दो

जागने वालों  को  जगने  दो  मुझको  पर
गुज़रे  हुए  पल आज  भुला  कर सोने दो

रूह  मेरी  बेचैन  बहुत  है  आज  'नसीम'
इन  आँखों  में  ख़्वाब सजा  कर सोने दो

Meri sanson me samai hai tu khushbu ki tarah

मेरी   सांसो  में   समाई  है  तू  खुशबू की तरह
सच  कहूँ   तो   मुझे   महबूब  है  उर्दू की तरह 

दिन  तो  कट  जाता  है बिन तेरे  मगर रातों में
जलता बुझता हुआ रहता हूँ मैं जुगनू की तरह

ibtida to ki maine intiha khuda jaane

इब्तिदा  तो  की    मैंने   इंतिहा  खुदा जाने
किस  तरह  निभायेंगे, वो  वफ़ा खुदा जाने

बार  बार  छुप  जाता  है वो सामने आकर
कौन  रहता  है  मुझसे  आशना खुदा जाने

फिर  निकल गया देखो हादसा मुझे छू कर
कौन   दे   रहा   जीने की  दुआ खुदा जाने

बेबसी का आलम है हँस रहा हूँ खुद पर ही
हँस रहा हूँ  क्यूँ  आखिर, ये मेरा खुदा जाने 

झूठ और सच की जंग -ऐ- 'नसीम' जारी है
किसके हक़ में आएगा, फैसला खुदा जाने

yaad me tere nind gawani padti hai

याद  में  तेरी   नींद    गवानी पड़ती है
जैसे    तैसे     रात   बितानी पड़ती है

वीरानी  जब  अंदर  तक  छा जाए तो
सहरा  सहरा  ख़ाक  उड़ानी पड़ती है

प्यार  की  ख़ातिर राह बनाने से पहले
नफ़रत  की   दीवार  गिरानी पड़ती है

झूठ  कहूँ  तो  गिर  जाता हूँ नज़रों से
सच  बोलूँ  तो  जान  गवानी पड़ती है

जाने किस दिन होंगे हम बेदार नसीम
लाश अपनों की रोज़ उठानी पड़ती है

museebaton me khuda usko daal deta hai


मुसीबतों  में  खुदा  उस को  डाल देता है
जो  वालिदैन  को घर  से  निकाल देता है

वो  बेमिसाल है तारीफ क्या करूँ उसकी
जो माँ  के  पेट  में बच्चों को पाल देता है

अगर हो साथ में ईमान की जो दौलत तो
वो बीच  दरिया से  रस्ता  निकाल देता है

बुलंदियों  पे  पहुंच  के  ग़ुरूर मत करना
उरूज   देता   है   वो  ही  ज़वाल देता है
 
नसीम देख लिया आज अपनी आँखों से 
हवा  का  झोंका  समन्दर उछाल देता है
     

wo dekh mere jumbish e lab puchne lage

वो    देख     मेरे      जुम्बिश  -ए- लब पूछने लगे
क्या     आरज़ू    है     क्या   है   सबब पूछने लगे

मैं  आसमाँ   को   छूने   जो   पहुंचा   उरूज  पर
कुछ   लोग    मेरा   नाम   -ओ- नसब पूछने लगे

खोया था उनकी याद में कल मैं शब -ए- फ़िराक
सब    मुज़्महिल     सितारे     सबब   पूछने लगे

पूछा  न  हाल   तक   मेरा   जब   मैं  उदास  था
अब  खुश  हूं  तो  खुशी  का  सबब  पूछने  लगे 

Tumhara pyar zaruri hai Zindagi ke liye

तबाह  दिल के  अंधेरों  की  रौशनी के लिए
तुम्हारा  प्यार   ज़रूरी  है   ज़िन्दगी के लिए

तुम्हारी   दीद   को   आँखें   तरस  गईं  मेरी
नज़र  तो आओ  मुझे  यार दो घड़ी के लिए

ग़रीब   शख़्स  हूँ  रिशवत  के  वास्ते  क़र्ज़ा
कहां  से  लाऊँ  मैं सरकारी नौकरी के लिए

वो शख़्स भी तो सरापा ए राह ज़न निकला
चुना था हमने जिसे अपनी  रहबरी के लिए
    
तुम्हारे  दिल में जो अश्आर मेरे  घर कर दें
कहां से  लाऊँ वो अल्फ़ाज़ शायरी के लिए

ghut ghut ke marna roz tamasha nahi hai kya

घुट  घुट  के  रोज़  मरना तमाशा नही है क्या
जीने  का   कोई   और  भी रस्ता नही है क्या

खुद  को  तू   बेवकूफ  बनाता  है  आजकल
आईना तुझको कुछ भी दिखाता नही है क्या

माहौल  इस  तरफ   का  तो  बेहद  खराब है
माहौल उस  तरफ का भी अच्छा नही है क्या

मैं  तो  बता  चूका  हूँ  बता  अब तू चल मुझे
अब  तक  तू  मेरे  बारे  में सोचा नही है क्या

क्यूँ  देखता है मुझको  तू आँखें  ये  फाड़ के
पहले  'नसीम'  को  कभी  देखा नही है क्या
.

gada main banke tere dar talak chala aaya

करम है मसनद ओ मिम्बर तलक चला आया
गदा  मैं   बन  के   तेरे  दर तलक चला आया

मेरी   तलब  ने   मुझे   हौसला  दिया  साक़ी
ये  हाथ  खुद   तेरे  साग़र तलक चला आया

कई  दिनों से  है  फ़ाक़ा  मुआफ़ कर मुझको
बिना   बुलाये  मैं   सासर तलक चला आया

तू  आगे  आगे   मुझे  रास्ता   दिखाता   रहा
मैं  पीछे   पीछे   तेरे   घर तलक चला आया

जो  दिल  की  आरज़ू  थी  आज हो गई पूरी
नसीम   हुस्न   के   पैकर तलक चला आया

charon taraf rangeen hai manzar thahro na

चारों   तरफ   रंगीन   है   मन्ज़र ठहरो ना
जान ए जानाँ आज की शब भर ठहरो ना

कुछ तो  बनेगा चाक पे  क्यूँ  घबराते  हो
जारी  अभी  है चाक  पे चक्कर ठहरो ना

आज  हमारे  हाल  पे  हँस लो जी भर के
वक़्त   हमारा    आएगा  बेहतर ठहरो ना

अहले  जुनूँ  क्यूँ  खेल  रहे  हो  पत्थर  से
लग  जाएगी  आप  को   ठोकर ठहरो ना

रंज  ओ  ग़म  की  धूप में तपता रहता हूँ
बन   जाऊँगा   इक  दिन गौहर ठहरो ना

Chand sa chehra dekh raha hun

چپ کے  چپ کے دیکھ رہا ہوں
چاند سے چہرے  دیکھ رہا ہوں
चुप के   चुप के देख रहा हूँ
चाँद   से   चेहरे देख रहा हूँ
کیا  ہونگے  خط   کے  مضمون!
بند     لفافے     دیکھ   رہا ہوں
क्या होंगे  ख़त के मज़मून?
बन्द    लिफाफे देख रहा हूँ
خواب  میں  ان  کو  آ تے  جاتے
اپنے   سرہانے    دیکھ   رہا ہوں
ख़्वाब में उनको आते जाते
अपने  सिरहाने देख रहा हूँ
پھول کے ہاتھ میں حیرانی سے
پھول  کے  گملے  دیکھ رہا ہوں
फूल  के  हाथ  में हैरानी से
फूल  के  गमले देख रहा हूँ
بدلا     بدلا    سا      ہے    لہجہ
آپ  کے  نکھرے  دیکھ رہا ہوں                            
बदला बदला सा है लहजा
आप के  नखरे देख रहा हूँ

hamari aankhon ghayab hai nind raaton ki

हमारी  आँखों  से   ग़ायब   है  नींद  रातों की
बहुत   रुलाती  हैं   यादें   गुज़िश्ता  लम्हों की

बिठा रहे हैं  सभी  मुझको  अपनी पलकों पर
निकलने   वाली   है   बारात  मेरे  अश्कों की

कहाँ  तलाश   करूँ    अब्र  अपने  हिस्से  का
उदास   रहती   है   बंजर   ज़मीन  आँखों की

वो कौन  ख़्वाबों में छुप छुप के रोज़ आता है
मैं तहक़ीक़ात करूँगा  अब अपने ख़्वाबों की

मैं  आफ़ताब   को  अब  मुंह  नहीं  लगाऊंगा
मैं जुगनुओं से कर आया हूँ बात ऊजालों की

khoobsurqt kis Qadar maula tera sansar hai

इस  तरफ़  तन्हाई  के आलम में दिल बेज़ार है
उस  तरफ  जश्न ए तरब  में  डूबा  मेरा  यार है

दश्त ओ सहरा है  कहीं वादी कहीं कोहसार है
ख़ूबसूरत   किस   क़दर  मौला  तेरा  संसार है

आँख  भर आई  हमारी उस हसीं को देख कर
जब ख़्याल  आया ये उसका आख़री दीदार है

तुम किसी तनक़ीद से मायूस  मत होना कभी
पत्थर  आते  हैं  उसी  पे  पेड़  जो फलदार है

ज़िन्दगी बर्बाद करके आज हम अपनी नसीम
हर  किसी  से  कह  रहे हैं ज़िन्दगी गुलज़ार है

बेज़ार= ना खुश
जश्न ए तरब= संगीत का जश्न
कोहसार= पहाड़
दश्त ओ सहरा = दरिया और रेगिस्तान

bahot meri sataish ho rahi hai

बहुत    मेरी     सताइश   हो   रही  है
मुनज़्ज़म  कोई  साज़िश  हो   रही  है

कहीं ज़ुल्मत  के   बादल   छा  रहे  हैं
कहीं  रहमत  की  बारिश  हो  रही  है

नए   फैशन  ने   उर्यां   कर   दिया  है
बदन  की  अब  नुमाईश   हो  रही  है

सुना   है   मैंने   वो   शोला   बदन  है
उसे  छूने  की   ख़्वाहिश  हो  रही  है

मुहब्बत  में   ख़रे   उतरेंगे    हम  भी
हमारी     आज़माईश     हो   रही  है

Saturday, January 6, 2018

sote nhin hain aapka bosa liye baghair

हैं लाख दूर आप से तस्वीर पे मगर
सोते नही हैं आपका बोसा लिए बग़ैर
हमको नही पड़ेगी ज़रूरत शराब की
रहते हैं हम नशे में हमेशा पिए बग़ैर

Ghut ghut ke roz marna tamasha nhi hai kya

घुट  घुट  के  रोज़  मरना तमाशा नही है क्या
जीने  का   कोई   और  भी रस्ता नही है क्या

खुद  को  तू   बेवकूफ  बनाता  है  आजकल
आईना तुझको कुछ भी दिखाता नही है क्या

माहौल  इस  तरफ   का  तो  बेहद  खराब है
माहौल उस  तरफ का भी अच्छा नही है क्या

मैं  तो  बता  चूका  हूँ  बता  अब तू चल मुझे
अब  तक  तू  मेरे  बारे  में सोचा नही है क्या

क्यूँ  देखता है मुझको  तू आँखें  ये  फाड़ के
पहले  'नसीम'  को  कभी  देखा नही है क्या