बहुत मेरी सताइश हो रही है
मुनज़्ज़म कोई साज़िश हो रही है
कहीं ज़ुल्मत के बादल छा रहे हैं
कहीं रहमत की बारिश हो रही है
नए फैशन ने उर्यां कर दिया है
बदन की अब नुमाईश हो रही है
सुना है मैंने वो शोला बदन है
उसे छूने की ख़्वाहिश हो रही है
मुहब्बत में ख़रे उतरेंगे हम भी
हमारी आज़माईश हो रही है