Monday, April 23, 2018

Jinhen rahna ho khush sahra me savan dhoondh lete hain

وہ اپنی خشک تر قسمت کا شکوہ ہی نہیں کرتے
جنہیں رہنا ہے خوش صحرا میں ساون ڈھونڈ لیتے ہیں
वो अपनी खुश्क़ तर किस्मत का शिकवा ही नहीं करते
जिन्हें रहना है खुश सहरा में सावन ढूंढ लेते है

وہ کیسے لوگ ہیں بیٹیوں کو بوجھ کہتے ہیں
مقدر بیٹیوں کےخد ہی آنگن ڈھونڈ لیتے ہیں
वो कैसे लोग हैं जो बेटियों को बोझ कहते हैं
मुकद्दर बेटियों के खुद ही आँगन ढूंढ लेते हैं

apna kandha takiya bana kar sone do

फूलों  के  बिस्तर  को  बिछा  कर सोने दो
अपना  काँधा  तकिया  बना  कर सोने दो

छाँव के बिस्तर ने है जगाया मुझको बहुत
आज  मुझे  तुम  धूप  बिछा  कर सोने दो

चोर   लुटेरे   घूम     रहे   हैं   चारों   तरफ
दरवाज़े   में    कुफ़्ल    लगा  कर सोने दो

जागने वालों  को  जगने  दो  मुझको  पर
गुज़रे  हुए  पल आज  भुला  कर सोने दो

रूह  मेरी  बेचैन  बहुत  है  आज  'नसीम'
इन  आँखों  में  ख़्वाब सजा  कर सोने दो

Meri sanson me samai hai tu khushbu ki tarah

मेरी   सांसो  में   समाई  है  तू  खुशबू की तरह
सच  कहूँ   तो   मुझे   महबूब  है  उर्दू की तरह 

दिन  तो  कट  जाता  है बिन तेरे  मगर रातों में
जलता बुझता हुआ रहता हूँ मैं जुगनू की तरह

ibtida to ki maine intiha khuda jaane

इब्तिदा  तो  की    मैंने   इंतिहा  खुदा जाने
किस  तरह  निभायेंगे, वो  वफ़ा खुदा जाने

बार  बार  छुप  जाता  है वो सामने आकर
कौन  रहता  है  मुझसे  आशना खुदा जाने

फिर  निकल गया देखो हादसा मुझे छू कर
कौन   दे   रहा   जीने की  दुआ खुदा जाने

बेबसी का आलम है हँस रहा हूँ खुद पर ही
हँस रहा हूँ  क्यूँ  आखिर, ये मेरा खुदा जाने 

झूठ और सच की जंग -ऐ- 'नसीम' जारी है
किसके हक़ में आएगा, फैसला खुदा जाने

yaad me tere nind gawani padti hai

याद  में  तेरी   नींद    गवानी पड़ती है
जैसे    तैसे     रात   बितानी पड़ती है

वीरानी  जब  अंदर  तक  छा जाए तो
सहरा  सहरा  ख़ाक  उड़ानी पड़ती है

प्यार  की  ख़ातिर राह बनाने से पहले
नफ़रत  की   दीवार  गिरानी पड़ती है

झूठ  कहूँ  तो  गिर  जाता हूँ नज़रों से
सच  बोलूँ  तो  जान  गवानी पड़ती है

जाने किस दिन होंगे हम बेदार नसीम
लाश अपनों की रोज़ उठानी पड़ती है

museebaton me khuda usko daal deta hai


मुसीबतों  में  खुदा  उस को  डाल देता है
जो  वालिदैन  को घर  से  निकाल देता है

वो  बेमिसाल है तारीफ क्या करूँ उसकी
जो माँ  के  पेट  में बच्चों को पाल देता है

अगर हो साथ में ईमान की जो दौलत तो
वो बीच  दरिया से  रस्ता  निकाल देता है

बुलंदियों  पे  पहुंच  के  ग़ुरूर मत करना
उरूज   देता   है   वो  ही  ज़वाल देता है
 
नसीम देख लिया आज अपनी आँखों से 
हवा  का  झोंका  समन्दर उछाल देता है
     

wo dekh mere jumbish e lab puchne lage

वो    देख     मेरे      जुम्बिश  -ए- लब पूछने लगे
क्या     आरज़ू    है     क्या   है   सबब पूछने लगे

मैं  आसमाँ   को   छूने   जो   पहुंचा   उरूज  पर
कुछ   लोग    मेरा   नाम   -ओ- नसब पूछने लगे

खोया था उनकी याद में कल मैं शब -ए- फ़िराक
सब    मुज़्महिल     सितारे     सबब   पूछने लगे

पूछा  न  हाल   तक   मेरा   जब   मैं  उदास  था
अब  खुश  हूं  तो  खुशी  का  सबब  पूछने  लगे 

Tumhara pyar zaruri hai Zindagi ke liye

तबाह  दिल के  अंधेरों  की  रौशनी के लिए
तुम्हारा  प्यार   ज़रूरी  है   ज़िन्दगी के लिए

तुम्हारी   दीद   को   आँखें   तरस  गईं  मेरी
नज़र  तो आओ  मुझे  यार दो घड़ी के लिए

ग़रीब   शख़्स  हूँ  रिशवत  के  वास्ते  क़र्ज़ा
कहां  से  लाऊँ  मैं सरकारी नौकरी के लिए

वो शख़्स भी तो सरापा ए राह ज़न निकला
चुना था हमने जिसे अपनी  रहबरी के लिए
    
तुम्हारे  दिल में जो अश्आर मेरे  घर कर दें
कहां से  लाऊँ वो अल्फ़ाज़ शायरी के लिए

ghut ghut ke marna roz tamasha nahi hai kya

घुट  घुट  के  रोज़  मरना तमाशा नही है क्या
जीने  का   कोई   और  भी रस्ता नही है क्या

खुद  को  तू   बेवकूफ  बनाता  है  आजकल
आईना तुझको कुछ भी दिखाता नही है क्या

माहौल  इस  तरफ   का  तो  बेहद  खराब है
माहौल उस  तरफ का भी अच्छा नही है क्या

मैं  तो  बता  चूका  हूँ  बता  अब तू चल मुझे
अब  तक  तू  मेरे  बारे  में सोचा नही है क्या

क्यूँ  देखता है मुझको  तू आँखें  ये  फाड़ के
पहले  'नसीम'  को  कभी  देखा नही है क्या
.

gada main banke tere dar talak chala aaya

करम है मसनद ओ मिम्बर तलक चला आया
गदा  मैं   बन  के   तेरे  दर तलक चला आया

मेरी   तलब  ने   मुझे   हौसला  दिया  साक़ी
ये  हाथ  खुद   तेरे  साग़र तलक चला आया

कई  दिनों से  है  फ़ाक़ा  मुआफ़ कर मुझको
बिना   बुलाये  मैं   सासर तलक चला आया

तू  आगे  आगे   मुझे  रास्ता   दिखाता   रहा
मैं  पीछे   पीछे   तेरे   घर तलक चला आया

जो  दिल  की  आरज़ू  थी  आज हो गई पूरी
नसीम   हुस्न   के   पैकर तलक चला आया

charon taraf rangeen hai manzar thahro na

चारों   तरफ   रंगीन   है   मन्ज़र ठहरो ना
जान ए जानाँ आज की शब भर ठहरो ना

कुछ तो  बनेगा चाक पे  क्यूँ  घबराते  हो
जारी  अभी  है चाक  पे चक्कर ठहरो ना

आज  हमारे  हाल  पे  हँस लो जी भर के
वक़्त   हमारा    आएगा  बेहतर ठहरो ना

अहले  जुनूँ  क्यूँ  खेल  रहे  हो  पत्थर  से
लग  जाएगी  आप  को   ठोकर ठहरो ना

रंज  ओ  ग़म  की  धूप में तपता रहता हूँ
बन   जाऊँगा   इक  दिन गौहर ठहरो ना

Chand sa chehra dekh raha hun

چپ کے  چپ کے دیکھ رہا ہوں
چاند سے چہرے  دیکھ رہا ہوں
चुप के   चुप के देख रहा हूँ
चाँद   से   चेहरे देख रहा हूँ
کیا  ہونگے  خط   کے  مضمون!
بند     لفافے     دیکھ   رہا ہوں
क्या होंगे  ख़त के मज़मून?
बन्द    लिफाफे देख रहा हूँ
خواب  میں  ان  کو  آ تے  جاتے
اپنے   سرہانے    دیکھ   رہا ہوں
ख़्वाब में उनको आते जाते
अपने  सिरहाने देख रहा हूँ
پھول کے ہاتھ میں حیرانی سے
پھول  کے  گملے  دیکھ رہا ہوں
फूल  के  हाथ  में हैरानी से
फूल  के  गमले देख रहा हूँ
بدلا     بدلا    سا      ہے    لہجہ
آپ  کے  نکھرے  دیکھ رہا ہوں                            
बदला बदला सा है लहजा
आप के  नखरे देख रहा हूँ

hamari aankhon ghayab hai nind raaton ki

हमारी  आँखों  से   ग़ायब   है  नींद  रातों की
बहुत   रुलाती  हैं   यादें   गुज़िश्ता  लम्हों की

बिठा रहे हैं  सभी  मुझको  अपनी पलकों पर
निकलने   वाली   है   बारात  मेरे  अश्कों की

कहाँ  तलाश   करूँ    अब्र  अपने  हिस्से  का
उदास   रहती   है   बंजर   ज़मीन  आँखों की

वो कौन  ख़्वाबों में छुप छुप के रोज़ आता है
मैं तहक़ीक़ात करूँगा  अब अपने ख़्वाबों की

मैं  आफ़ताब   को  अब  मुंह  नहीं  लगाऊंगा
मैं जुगनुओं से कर आया हूँ बात ऊजालों की

khoobsurqt kis Qadar maula tera sansar hai

इस  तरफ़  तन्हाई  के आलम में दिल बेज़ार है
उस  तरफ  जश्न ए तरब  में  डूबा  मेरा  यार है

दश्त ओ सहरा है  कहीं वादी कहीं कोहसार है
ख़ूबसूरत   किस   क़दर  मौला  तेरा  संसार है

आँख  भर आई  हमारी उस हसीं को देख कर
जब ख़्याल  आया ये उसका आख़री दीदार है

तुम किसी तनक़ीद से मायूस  मत होना कभी
पत्थर  आते  हैं  उसी  पे  पेड़  जो फलदार है

ज़िन्दगी बर्बाद करके आज हम अपनी नसीम
हर  किसी  से  कह  रहे हैं ज़िन्दगी गुलज़ार है

बेज़ार= ना खुश
जश्न ए तरब= संगीत का जश्न
कोहसार= पहाड़
दश्त ओ सहरा = दरिया और रेगिस्तान

bahot meri sataish ho rahi hai

बहुत    मेरी     सताइश   हो   रही  है
मुनज़्ज़म  कोई  साज़िश  हो   रही  है

कहीं ज़ुल्मत  के   बादल   छा  रहे  हैं
कहीं  रहमत  की  बारिश  हो  रही  है

नए   फैशन  ने   उर्यां   कर   दिया  है
बदन  की  अब  नुमाईश   हो  रही  है

सुना   है   मैंने   वो   शोला   बदन  है
उसे  छूने  की   ख़्वाहिश  हो  रही  है

मुहब्बत  में   ख़रे   उतरेंगे    हम  भी
हमारी     आज़माईश     हो   रही  है