तबाह दिल के अंधेरों की रौशनी के लिए
तुम्हारा प्यार ज़रूरी है ज़िन्दगी के लिए
तुम्हारी दीद को आँखें तरस गईं मेरी
नज़र तो आओ मुझे यार दो घड़ी के लिए
ग़रीब शख़्स हूँ रिशवत के वास्ते क़र्ज़ा
कहां से लाऊँ मैं सरकारी नौकरी के लिए
वो शख़्स भी तो सरापा ए राह ज़न निकला
चुना था हमने जिसे अपनी रहबरी के लिए
तुम्हारे दिल में जो अश्आर मेरे घर कर दें
कहां से लाऊँ वो अल्फ़ाज़ शायरी के लिए