घुट घुट के रोज़ मरना तमाशा नही है क्या
जीने का कोई और भी रस्ता नही है क्या
खुद को तू बेवकूफ बनाता है आजकल
आईना तुझको कुछ भी दिखाता नही है क्या
माहौल इस तरफ का तो बेहद खराब है
माहौल उस तरफ का भी अच्छा नही है क्या
मैं तो बता चूका हूँ बता अब तू चल मुझे
अब तक तू मेरे बारे में सोचा नही है क्या
क्यूँ देखता है मुझको तू आँखें ये फाड़ के
पहले 'नसीम' को कभी देखा नही है क्या
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