Monday, April 23, 2018

khoobsurqt kis Qadar maula tera sansar hai

इस  तरफ़  तन्हाई  के आलम में दिल बेज़ार है
उस  तरफ  जश्न ए तरब  में  डूबा  मेरा  यार है

दश्त ओ सहरा है  कहीं वादी कहीं कोहसार है
ख़ूबसूरत   किस   क़दर  मौला  तेरा  संसार है

आँख  भर आई  हमारी उस हसीं को देख कर
जब ख़्याल  आया ये उसका आख़री दीदार है

तुम किसी तनक़ीद से मायूस  मत होना कभी
पत्थर  आते  हैं  उसी  पे  पेड़  जो फलदार है

ज़िन्दगी बर्बाद करके आज हम अपनी नसीम
हर  किसी  से  कह  रहे हैं ज़िन्दगी गुलज़ार है

बेज़ार= ना खुश
जश्न ए तरब= संगीत का जश्न
कोहसार= पहाड़
दश्त ओ सहरा = दरिया और रेगिस्तान