फूलों के बिस्तर को बिछा कर सोने दो
अपना काँधा तकिया बना कर सोने दो
छाँव के बिस्तर ने है जगाया मुझको बहुत
आज मुझे तुम धूप बिछा कर सोने दो
चोर लुटेरे घूम रहे हैं चारों तरफ
दरवाज़े में कुफ़्ल लगा कर सोने दो
जागने वालों को जगने दो मुझको पर
गुज़रे हुए पल आज भुला कर सोने दो
रूह मेरी बेचैन बहुत है आज 'नसीम'
इन आँखों में ख़्वाब सजा कर सोने दो