Monday, April 23, 2018

apna kandha takiya bana kar sone do

फूलों  के  बिस्तर  को  बिछा  कर सोने दो
अपना  काँधा  तकिया  बना  कर सोने दो

छाँव के बिस्तर ने है जगाया मुझको बहुत
आज  मुझे  तुम  धूप  बिछा  कर सोने दो

चोर   लुटेरे   घूम     रहे   हैं   चारों   तरफ
दरवाज़े   में    कुफ़्ल    लगा  कर सोने दो

जागने वालों  को  जगने  दो  मुझको  पर
गुज़रे  हुए  पल आज  भुला  कर सोने दो

रूह  मेरी  बेचैन  बहुत  है  आज  'नसीम'
इन  आँखों  में  ख़्वाब सजा  कर सोने दो