Monday, April 23, 2018

ibtida to ki maine intiha khuda jaane

इब्तिदा  तो  की    मैंने   इंतिहा  खुदा जाने
किस  तरह  निभायेंगे, वो  वफ़ा खुदा जाने

बार  बार  छुप  जाता  है वो सामने आकर
कौन  रहता  है  मुझसे  आशना खुदा जाने

फिर  निकल गया देखो हादसा मुझे छू कर
कौन   दे   रहा   जीने की  दुआ खुदा जाने

बेबसी का आलम है हँस रहा हूँ खुद पर ही
हँस रहा हूँ  क्यूँ  आखिर, ये मेरा खुदा जाने 

झूठ और सच की जंग -ऐ- 'नसीम' जारी है
किसके हक़ में आएगा, फैसला खुदा जाने