Sunday, October 23, 2022

ishq ka lag hi gaya rog na jane kaise _naseem azmi


عشق کا لگ ہی گیا روگ نہ جانے کیسے
ہجر کا کاٹیں گے اب سوگ نہ جانے کیسے

کس نے ٹھکرایا مجھے شہر میں کچھ یاد نہیں
دشت و صحرا میں لیا جوگ نہ جانے کیسے

دل کھلونا نہیں ہوتا ہے بظاہر پھر بھی
دل سے ہی کھیلتے ہیں لوگ نہ جانے کیسے

 جب بھی لاتی ہے ہوا تیرے بدن کی خوشبو
ٹوٹ جاتا ہے مرا یوگ نہ جانے کیسے

اک اگن آج بھی رہتی ہے برہ کی دل میں
تھا ندی ناؤ کا سنجوگ  نہ جانے کیسے

इश्क़  का  लग   ही  गया   रोग  न  जाने  कैसे
हिज्र  का   काटेंगे    अब  सोग  न  जाने  कैसे 

किसने  ठुकराया  मुझे शह्र में कुछ  याद  नहीं
दश्त-ओ-सहरा  में  लिया जोग  न  जाने  कैसे

दिल  खिलौना नहीं होता है बज़ाहिर  फिर भी  
दिल  से   ही   खेलते   हैं  लोग  न  जाने  कैसे

जब  भी  लाती  है  हवा  तेरे  बदन की ख़ुशबू 
टूट    जाता     है    मेरा    योग  न  जाने  कैसे 

इक अगन आज भी रहती है बिरह की दिल में
था   नदी   नाव    का    संजोग  न  जाने  कैसे