Saturday, January 6, 2018

Ghut ghut ke roz marna tamasha nhi hai kya

घुट  घुट  के  रोज़  मरना तमाशा नही है क्या
जीने  का   कोई   और  भी रस्ता नही है क्या

खुद  को  तू   बेवकूफ  बनाता  है  आजकल
आईना तुझको कुछ भी दिखाता नही है क्या

माहौल  इस  तरफ   का  तो  बेहद  खराब है
माहौल उस  तरफ का भी अच्छा नही है क्या

मैं  तो  बता  चूका  हूँ  बता  अब तू चल मुझे
अब  तक  तू  मेरे  बारे  में सोचा नही है क्या

क्यूँ  देखता है मुझको  तू आँखें  ये  फाड़ के
पहले  'नसीम'  को  कभी  देखा नही है क्या