Sunday, October 23, 2022

apni janib khinch rahe hain mujhko bari bari log


अपनी जानिब खींच रहे हैं मुझको बारी बारी लोग
एक  तरफ़  मेयारी  हैं  तो एक तरफ़ बाज़ारी लोग

तू  तू  मैं  मैं  होने  दे  तू  दूर  से  बैठ  तमाशा  देख
पास  गया  तो कर  लेंगे आपस में मारा मारी लोग 

झूठी  क़समें, झूठे  वादे, झूठी  चाहत, झूठे  ख़्वाब 
हम  जैसे  मासूमों  से  भी  करते  हैं मक्कारी लोग

सुझ बुझ अपनी खो  बैठूंगा मैं बे-दिल हो जाऊंगा 
इतनी ज़्यादा करने लगे हैं मेरी दिल आज़ारी लोग  

हँसते हँसते रो पड़ता हूँ आख़िर  क्या बतलाऊँ मैं 
मर मर  के  जीने  की  मुझसे पूछ रहे दुश्वारी लोग