एक तरफ़ मेयारी हैं तो एक तरफ़ बाज़ारी लोग
तू तू मैं मैं होने दे तू दूर से बैठ तमाशा देख
पास गया तो कर लेंगे आपस में मारा मारी लोग
झूठी क़समें, झूठे वादे, झूठी चाहत, झूठे ख़्वाब
हम जैसे मासूमों से भी करते हैं मक्कारी लोग
सुझ बुझ अपनी खो बैठूंगा मैं बे-दिल हो जाऊंगा
इतनी ज़्यादा करने लगे हैं मेरी दिल आज़ारी लोग
हँसते हँसते रो पड़ता हूँ आख़िर क्या बतलाऊँ मैं
मर मर के जीने की मुझसे पूछ रहे दुश्वारी लोग