जितने क़ानून हैं काले उन्हें तोड़ा जाए
मुत्तहिद होके वतन आओ बचाया जाए
या ख़ुदा छीन ले बीनाई मेरी आँखों की
हर तरफ़ बहता हुआ ख़ून न देखा जाए
जो भी मुजरिम हैं उन्हें दीजे सज़ायें लेकिन
बेगुनाहों को यूँ जेलों में न डाला जाए
बाद में आप जो चाहें वो सियासत कीजे
पहले भूकों के लिए खाना परोसा जाए
अपने इस मुल्क की अज़मत को बचाने के लिए
पहने इन गुंडों को संसद से निकाला जाए